दुनिया की सबसे Best Motivational Stories in Hindi में आपका हार्दिक स्वागत है। हमने आज आपके लिए सबसे बड़ी प्रेरक कहानियाँ, प्रेरक कहानियाँ और सफलता की कहानियाँ संकलित की हैं। आज हम ऐसी ही Motivational Stories in Hindi के बारे में चर्चा करेंगे जो वाकई में आपको प्रेरणा देगी।
जीवन के हर पड़ाव पर हम असफलता के परिणामस्वरूप डिमोटिवेट हो जाते हैं, और हम हमेशा प्रेरणा चाहते हैं। इसके लिए हम बहुत प्रयास करते हैं, जिनमें से एक है कुछ Motivational Stories in Hindi का होना।
इन सभी Hindi Motivational Stories को पढ़ने के बाद, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सफलता और उद्देश्यों तक पहुंचने की खोई हुई आशा आपके मन में फिर से जाग उठेगी, और आपका सिर सकारात्मक और प्रेरक विचारों से भर जाएगा।
जीवन में महान चीजों को हासिल करने की आपकी इच्छा बढ़ेगी, जैसे आपकी बहादुरी और आत्मविश्वास बढ़ेगा, और आप इन सभी Motivational Stories in Hindi से बहुत कुछ सीखेंगे।
Read 11 Best Motivational Stories in Hindi
Bonus Motivational Story in Hindi
स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बीच बातचीत – Motivational Story in Hindi
यह स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण योगानंद के बीच की बातचीत है जो हमारे दैनिक जीवन से निकटता से संबंधित है।
स्वामी जी: मुझे खाली समय नहीं मिल रहा है। जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है
रामकृष्ण जी : गतिविधियाँ आपको व्यस्त रखती हैं। लेकिन उत्पादन आपको मुक्त करता है।
स्वामी जी : जीवन जटिल क्यों है?
रामकृष्ण जी : जीवन का विश्लेषण मत करो। यह जीवन को जटिल बनाता है। बस जीयो।
स्वामी जी : हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
रामकृष्ण जी : चिंता तुम्हारी आदत हो गई है। इस कारण तुम दुखी हो।
स्वामी जी : अच्छे लोग हमेशा कष्ट क्यों झेलते हैं?
रामकृष्ण जी : बिना पॉलिश किए हीरा नहीं चमकता। आग के बिना सोना शुद्ध नहीं होता। अच्छे लोग परीक्षाओं से गुजरते हैं, लेकिन कष्ट नहीं उठाते। इस तरह, जीवन बेहतर होगा, बदतर नहीं।
स्वामी जी : आपका मतलब है कि अनुभव उपयोगी है?
रामकृष्ण जी : हाँ, अनुभव हर स्तर पर एक गंभीर शिक्षक है। यह पहले आपकी जांच करता है, फिर आपको सबक सिखाता है।
स्वामी जी : इतने सारे प्रश्नों के साथ, हमें नहीं पता कि कहाँ जाना है…
रामकृष्ण जी : यदि आप बाहर देखते हैं, तो आप नहीं जानते कि आप कहाँ जा रहे हैं। भीतर देखो। आंखें परिप्रेक्ष्य प्रदान करती हैं। दिल रास्ता देता है।
स्वामी जी : सही दिशा में, क्या असफलता प्रगति से ज्यादा नुकसान करती है?
रामकृष्ण जी : सफलता दूसरों के निर्णय का पैमाना है। संतुष्टि आपके निर्णय का पैमाना है।
स्वामी जी : आप कठिन समय में कैसे प्रेरित रहते हैं?
रामकृष्ण जी : हमेशा देखें कि आप कितनी दूर आ गए हैं, यह नहीं कि आपको कितनी दूर जाना है। हमेशा अपने आशीर्वाद को गिनें, अपने नुकसान को नहीं।
स्वामी जी : इंसानों के बारे में आपको सबसे ज्यादा आश्चर्य किस बात से हुआ?
रामकृष्ण जी : जब वे पीड़ित होते हैं, तो वे पूछते हैं, “मैं क्यों?” जब वे समृद्ध होते हैं, तो वे कभी नहीं पूछते “मैं ही क्यों?”
स्वामी जी : मैं सर्वोत्तम जीवन कैसे संभव कर सकता हूँ?
रामकृष्ण जी : बिना पछतावे के अतीत का सामना करें। वर्तमान को आत्मविश्वास से संभालें। बिना किसी डर के भविष्य की तैयारी करें।
स्वामी जी : आखिरी सवाल। कभी-कभी, मुझे ऐसा लगता है कि मेरी प्रार्थना अनुत्तरित हो जाती है।
रामकृष्ण: कोई अनुत्तरित प्रार्थना नहीं है। अपने विश्वास में दृढ़ रहें और अपने डर से छुटकारा पाएं। जीवन एक रहस्य है जिसे सुलझना है, कोई समस्या नहीं जिसे सुलझाना है। मेरा विश्वास करो, जीवन अच्छा है अगर तुम जीना जानते हो।
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1. नेकी का बदला – Motivational Story in Hindi
एक बार की बात है एक कबूतर पेड़ की डाल पर बैठा था। वो पेड़ नदी के किनारे था। कबूतर ने डालपर बैठे बैठे देखा कि नदी के पानी में एक चींटी बहती जा रही है। वह बेचारी बार बार किनारे आने की कोशिश करती है लेकिन पानी की धारा बहुत तेज है जिससे वो किनारे नहीं आ पा रही है। ऐसा लगता है कि चींटी थोड़ी देर में पानी में डूबकर मर जायेगी। कबूतर को दया आ गयी। उसने अपनी चोंच से एक पत्ता तोड़कर चींटी के पास पानी में गिरा दिया। चींटी उस पत्ते पर चढ़ गयी। पत्ता बहकर किनारे आ गया। इस तरह चींटी की जान बच गयी। चींटी ने मन ही मन कबूतर का धन्यवाद किया।
उसी समय एक बहेलिया वहाँ आया और पेड़ के नीचे छुपकर बैठ गया। कबूतर ने बहेलिये को नहीं देखा। बहेलिया अपना बांस कबूतर को फँसाने के लिए ऊपर बढाने लगा। चींटी ने यह सब देखा तो वो पेड़ की और दौड़ी। वह बोल सकती तो जरूर बोलकर कबूतर को सावधान कर देती लेकिन वह बोल नहीं सकती थी। चींटी ने सोचा कबूतर ने मेरी जान बचायी थी इसलिए मैं भी इसकी जान बचाउंगी। पेड़ के नीचे पहुंचकर चींटी बहेलिये के पैर पर चढ़ गयी और उसने बहेलिये के पैर में पूरे जोर से काटा। चींटी के काटने से बहेलिया हिल गया और उसका बाँस भी हिल गया। जिससे पेड़ के पत्तों की आवाज से कबूतर सावधान होकर उड़ गया। इस तरह से कबूतर को अपनी नेकी का फल मिल गया और उसकी जान बच गयी।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि जो संकट में पड़े लोगों की सहायता करता है, उस पर संकट आनेपर उसकी सहायता भगवान् अवश्य करते हैं।
2. झूठ बोलने का फल – Motivational Story in Hindi
एक लड़का था जिसका नाम राजू था। उसको स्कूल जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था। कभी कभी वो झूठ बोल कर छुट्टी कर लेता था।
एक बार उसने सोचा कि मैं आज स्कूल नहीं जाऊँगा। जब स्कूल का टाइम हुआ तो उसकी माँ ने पूछा “राजू तुम स्कूल के लिए अभी तक तैयार क्यों नहीं हुए हो। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ।”
राजू बोला “माँ आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगा।” माँ ने पूछा “क्यों नहीं जाओगे राजू स्कूल।”
राजू बोला “आज मेरे पेट में बहुत जोर से दर्द हो रहा है इसलिए माँ आज में स्कूल नहीं जाऊँगा।”
राजू की माँ समझ गई कि राजू झूठ बोल रहा है। माँ ने कहा “राजू झूठ बोलना बहुत बुरी बात है।” राजू बोला “माँ में झूठ नहीं बोल रहा हूँ सचमुच मेरे पेट में दर्द हो रहा है।” माँ चुप हो गयी। और राजू ने स्कूल की छुट्टी कर ली।
शाम को राजू के पापा ऑफिस से घर आये। वो बहुत अच्छी अच्छी मिठाइयाँ और बहुत सारी चॉकलेट ले कर आये थे। पापा ने आते ही पूछा “राजू आज स्कूल में दिन कैसा रहा?” राजू ने धीरे से कहा “पापा आज मैं स्कूल नहीं गया। मेरे पेट में दर्द हो रहा था।”
पापा ने कहा “अच्छा! मैं तो तुम्हारे लिए मिठाई और चॉकलेट लाया था। पर तुम्हारे तो पेट में दर्द हो रहा है यह तुम्हे और भी नुकसान करेगी। इसलिए तुम मिठाई और चॉकलेट बिलकुल भी नहीं खाना। अब जाओ दवाई खाकर सो जाओ।”
राजू के सामने ही पापा ने सबको मिठाई और चॉकलेट बाँट दी। सब मिठाई खाने लगे। सबको मिठाई खाते हुए देख कर राजू का भी मन कर रहा था कि मैं भी सब खा लूं। पर वो किसी को बता नहीं सकता था कि उसने झूठ बोला है उसके पेट में दर्द है। उसने सोचा कि अगर मैंने झूठ न बोला होता तो आज मुझे भी मिठाई मिलती। उस दिन से उसने झूठ बोलना छोड़ दिया। और वो रोज स्कूल जाने लगा।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि कभी भी हमें किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए उससे हम अपना ही नुकसान कर लेते है।
3. लालची बन्दर – Motivational Story in Hindi
एक बन्दर एक आदमी के घर रोज आता था और रोज कोई न कोई नुकसान कर के जाता था। वह कभी कपड़े फाड़ देता, कभी कोई बर्तन उठा कर ले जाता और कभी बच्चों को काट लेता था। बन्दर से उस घर के लोग बहुत परेशान हो गए थे।
एक दिन घर के मालिक ने कहा, “मैं इस बन्दर को पकड़कर बाहर भेज दूँगा।” उसने एक छोटे मुँह की हाँडी मँगवाई और उसमें थोड़े से चने डालकर रख दिये। बस उस हाँडी का मुँह खुला छोड़ दिया और सब लोग वहाँ से दूर चले गए।
वह बन्दर घर में आया। थोड़ी देर इधर-उधर कूदता रहा। जब उसने हाँडी में पड़े हुए चने देखे तो हाँडी के पास आकर बैठ गया। चने निकालने के लिए उसने हाँडी में हाथ डाला और मुट्ठी में चने भर लिए। हाँडी का मुँह छोटा था। उसमें से बँधी मुट्ठी नहीं निकल सकती थी। बन्दर मुट्ठी निकालने के लिए जोर लगाने और कूदने लगा। वह जोर जोर से चिल्लाया और उछला, लेकिन लालच की वजह से उसने चने नहीं छोड़े।
बन्दर को घर के मालिक ने रस्सी से बाँध लिया और बाहर भेज दिया। अपने लालच की वजह से बन्दर पकड़ा गया। इसीलिये कहते हैं लालच बुरी बला है।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। लालच करने से हम अपना ही नुकसान कर लेते हैं।
4. ब्रह्माजी के थैले – Motivational Story in Hindi
इस संसार को बनाने वाले ब्रह्माजी ने एक बार मनुष्य को अपने पास बुलाकर पूछा, “तुम्हे क्या चाहिए?”
मनुष्य ने कहा, “मैं खूब पैसे कमाना चाहता हूँ, सुख-शान्ति चाहता हूँ और चाहता हूँ कि सब लोग मेरी तारीफ करें।
ब्रह्माजी ने मनुष्य के सामने दो थैले रख दिए। ब्रह्माजी बोले, “इन थैलों को ले लो। इनमें से एक थैले में तुम्हारे पड़ोसी की बुराइयाँ भरी हैं। उसे पीठ पर लाद लो। उसे हमेशा बंद रखना। न तुम देखना न दूसरों को दिखाना। दूसरे थैले में तुम्हारे दोष भरे है। उसे सामने लटका लो और बार-बार खोलकर देखना।
मनुष्य ने दोनों थैले उठा लिये। लेकिन उसने गलती से अपनी बुराइयों वाला थैला पीठ पर लाद लिया और उसका मुँह कसकर बंद कर दिया। और अपने पड़ोसी की बुराइयों वाला थैला उसने सामने लटका लिया। उसका मुँह खोलकर वह उसे देखता रहता और दूसरों को भी दिखाता रहता।
इससे उसको जो वरदान ब्रह्माजी ने दिया था वह भी उल्टा हो गया। वह गरीब हो गया। उसे दुःख और अशांति मिलने लगी। सब लोग उसे बुरा कहने लगे।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि अगर हम मनुष्य की वह भूल सुधार लें तो हमारी उन्नति होगी। हमें सुख-शान्ति मिलेगी और लोग हमारी प्रशंसा करेंगे। हमें अपने पड़ोसी और दोस्तों की बुराइयों को नहीं देखना चाहिए हमें अपनी बुराइयों को देखना चाहिए और उन्हें दूर करना चाहिए।
5. संगत का असर – Motivational Story in Hindi
एक बार बाजार में एक तोता बेचने वाला आया। उसके पास दो तोते थे। उसने एक तोते का कीमत पाँच सौ रूपये और दूसरे तोते की कीमत पाँच पैसे रखी। उसने सबसे कहा, “अगर कोई पाँच पैसे वाला तोता लेना चाहे तो ले जाए, लेकिन कोई पाँच सौ रूपये वाला तोता लेना चाहेगा तो उसे दूसरा तोता भी लेना पड़ेगा।”
वहाँ के राजा बाजार में आये। तोतेवाले की आवाज सुनकर उन्होंने हाथी रोककर पूछा, “इन दोनों के मूल्य में इतना अन्तर क्यों है?”
तोतेवाले ने कहा, “यह तो आप इनको ले जायेंगे तभी आपको पता लगेगा।”
राजा ने तोते ले लिये। जब रात में वो सोने लगे तो उन्होंने कहा कि “पाँच सौ रूपये वाले तोते का पिंजड़ा मेरे पलंग के पास टाँग दिया जाय।” जैसे ही सुबह चार बजे तोते ने राम, राम, सीता-राम कहना शुरू कर दिया। तोते ने खूब सुन्दर भजन गाये।बहुत अच्छे श्लोक पढ़े। राजा बहुत खुश हुआ।
दुसरे दिन राजा ने दूसरे तोते का पिंजड़ा पास में रखवाया। जैसे ही सुबह हुई उस तोते ने गन्दी-गन्दी गालियाँ बोलनी शुरू कर दी। राजा को बहुत जोर से गुस्सा आया। उन्होंने अपने नौकर से कहा, “इस दुष्ट तोते को मार डालो।”
पहले वाला तोता पास में ही सब बातें सुन रहा था। उसने राजा से प्रार्थना की, “इसे मत मारिये। यह मेरा सगा भाई है। हम दोनों एक ही जाल में फँस गए थे। मुझे एक संत ने ले लिया। उनके यहाँ में भजन सीख गया। इसे एक चोर ने ले लिया। वहां इसने गन्दी बातें सीख लीं। इसमें इसका कोई दोष नहीं है। यह तो बुरी संगत का नतीजा है।”
राजा ने उस तोते को मारा नहीं बल्कि उस संत के पास भेज दिया जहां पर रहकर वह भी अच्छी बातें सीख गया।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि बुरे लोगों की संगत से बचना चाहिए। अच्छे लोगों की संगती करनी चाहिए। जैसी हमारी संगती होती है वैसी ही बातें हम सीखते है।
6. जैसे को तैसा – Motivational Story in Hindi
एक बार एक जंगल में भैंस और घोड़ा रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों हमेशा साथ-साथ रहते थे। एक साथ झरने का पानी पीने जाते थे। एक बार भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गयी। भैंस ने सींग मार-मार कर घोड़े को अधमरा कर दिया।
जब घोड़े ने देखा कि वह भैंस से जीत नहीं सकता तो वहां से भाग गया। वह किसी आदमी के पास पहुँचा। घोड़े ने उससे अपनी मदद करने के लिए कहा।
उस आदमी ने कहा, “भैंस के बड़े बड़े सींग हैं। वो बहुत ताकतवर है मैं उसे कैसे जीत सकूँगा।”
घोड़े ने समझाया, “मेरी पीठ पर बैठ जाओ। एक मोटा डंडा ले लो। मैं जल्दी-जल्दी दौड़ता रहूँगा और तुम डंडे से भैंस को मार-मार कर अधमरी कर देना और फिर रस्सी से बाँध लेना।”
उस आदमी ने कहा, “मुझे भला उस भैंस को मार कर और बाँध कर क्या फायदा?”
घोड़े ने कहा, “भैंस बड़ा मीठा दूध देती है। तुम उसे पी लिया करना।”
उस आदमी ने घोड़े की बात मान ली। बेचारी भैंस जब पिटते-पिटते गिर पड़ी, तब उस आदमी ने उसे बाँध लिया। घोड़े ने काम ख़त्म होने पर कहा, “अब मुझे छोड़ दो। मैं चरने जाऊँगा।”
वह आदमी जोर-जोर से हँसने लगा। उसने कहा, “मैं तुमको कैसे छोड़ दूँ। मैं नहीं जानता था कि तुम मेरे चढ़ने के काम आ सकते हो। अब तो मैं भैंस का दूध पीऊँगा और तुम्हारे ऊपर चढ़कर दौड़ा करूँगा।”
घोड़ा बहुत रोया। बहुत पछताया। पर अब क्या हो सकता था। उसने भैंस के साथ जैसा किया, वैसा फल उसे खुद ही भोगना पड़ा।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है। इसलिए कभी किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिये।
7. पिता और पुत्र – Motivational Story in Hindi
एक पिता अपने छोटे पुत्र को गोद में लिए बैठा था। कहीं से उड़कर एक कौआ उनके सामने आकर बैठ गया।
पुत्र ने पिता से पूछा, “यह क्या है?”
पिता ने कहा, “कौआ है।”
पुत्र बार बार पूछता था, “यह क्या है?”
पिता स्नेह से बार बार कहता था, “कौआ है।”
कुछ समय के बाद पुत्र बड़ा हो गया और पिता बूढ़ा हो गया। एक दिन पिता चटाई पर बैठा था। घर में कोई उसके पुत्र से मिलने आया।
पिता ने पूछा, “बेटा! कौन आया है?”
पुत्र ने नाम बता दिया। थोड़ी देर में कोई और आया और पिता ने फिर पूछा। इस बार पुत्र ने झल्लाकर कहा, “आप चुपचाप पड़े क्यों नहीं रहते। आपको कुछ करना-धरना तो होता नहीं। कौन आया? कौन गया? यह सब क्यों पूछते रहते हैं दिनभर आप?”
पिता ने लम्बी साँस खींची। हाथ से सर पकड़ा। बड़े दुःखभरे स्वर में धीरे-धीरे वह कहने लगा, ‘मेरे एक बार पूछने पर अब तुम क्रोध करते हो और तुम सैंकड़ों बार पूछते थे एक ही बात, “यह क्या है?” मैने कभी तुम्हें झिड़का नहीं। मैं बार-बार तुम्हें बताता, ‘कौआ है। कौआ है।’
अपने माता-पिता का तिरस्कार करने वाले ऐसे बच्चे बहुत बुरे माने जाते हैं।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि अपने माता-पता का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। तुम सदा इस बात का ध्यान रखो कि माता-पिता ने तुम्हारे पालन-पोषण में कितना कष्ट उठाया है और वह तुमसे कितना प्यार करते है।
8. पुण्य की महिमा – Motivational Story in Hindi
एक राजा था। उसके राज्य में एक लड़का था, जो टोली बनाकर चंदा इकठ्ठा किया करता था। चंदे के रूपये से वह धर्मशाला बनवाता था, तालाब खुदवाता था। तरह-तरह के पुण्य के काम किया करता था। लोगों को सच बोलना सिखाता और कहता कि कभी किसी को मत सताओ। राजा के नौकर चाकर सब उससे जलते थे। एक दिन उन्होंने राजा से कहा, “महाराज! एक लड़का अपनी टोली के साथ डकैती करता है और डकैतों को छुडवा देता है।”
सुनकर राजा को गुस्सा आया। राजा ने कहा, “उसे पकड़ कर लाओ।”
राजा के नौकरों ने मिलकर लड़के को उसकी टोली सहित पकड़ लिया और राजा के पास लाये। राजा ने उनसे कुछ पूछे बिना ही उन्हें हाथी से कुचलवाने की आज्ञा दे दी।
राजा ने सबको हाथी से रौंदवा दिया, पर उस पुन्यवान लड़के को न रौंदवा सके। हाथी को उसके ऊपर छोड़ते, पर हाथी उसके ऊपर चलता ही नहीं था। लोगों ने यह बात राजा से कही। राजा ने कहा, “इसकी तलाशी लो। अगर कोई जड़ी निकले तो फेंक देना।”
लोगों ने उसकी तलाशी ली, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। राजा ने कहा, “इसी से पूछो, क्या यह कोई मंत्र जपता है।”
लोगों ने उस लड़के से पूछा, “क्या तू कोई मंत्र जपता है?”
लड़के ने कहा, “हां!”
उन्होंने जाकर राजा से कहा। राजा ने कहा, “उसे यहां बुलाओ।”
लड़का आया। लड़के से राजा ने पूछा, “तू कौन सा मंत्र जपता है?”
लड़के ने कहा, “यह कि हम तीस जने न चोरी करते हैं, न डकैती, आपके कर्मचारी झूठ बोलते हैं। यही हमारा मंत्र है।”
राजा ने सब बातें विस्तार से पूछीं। असली बात जानकर उसे बहुत दुःख हुआ और गुस्सा भी आया। उसने अपने नौकरों को उस लड़के का दास बना दिया। और वह हाथी और गांव भी लड़के को दे दिया। लड़का पुण्य के काम करता हुआ सुख से रहने लगा।
9. हमारी सोच की शक्ति – Motivational Story in Hindi
एक बार गणेश नाम का एक आदमी कहीं जा रहा था। रास्ते में जंगल पड़ा। वह बहुत थक चुका था इसलिये उसने सोचा कि मै थोड़ी देर किसी पेड़ के नीचे आराम कर लेता हूँ। सामने ही उसे एक बहुत बड़ा पेड़ नजर आया। वह उसके नीचे बैठ गया। तभी उसने सोचा बड़ी जोर से भूख लग रही है कितना अच्छा होता कि मुझे पीज़ा खाने को मिल जाये। तभी वहां से एक आदमी अपनी स्कूटी पर पीजा लेकर जा रहा था और उसको पीजा खाने को मिल गया। फिर उसने सोचा काश यहां पर पलंग होते तो कितना अच्छा होता मैं उस पर आराम से सो जाता तभी उसने देखा एक ट्रक आकर उसके पास रुका और उसमें पलंग थे वह ट्रक खराब हो गया था। ट्रक वाला पलंग को वहीं रखकर ट्रक ठीक करवाने चला गया।
गणेश पलंग पर आराम से लेट गया तभी उसने सोचा काश मुझे कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए मिल जाती। अचानक उसका हाथ तकिए के नीचे गया तो उसने देखा तकिये के नीचे एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल पड़ी हुई है वह बहुत खुश हो गया। उसने कोल्ड ड्रिंक पी ली। फिर उसने सोचा मैं जंगल में बिलकुल अकेला यहां आराम से लेटा हुआ हूँ कहीं जंगली जानवर या शेर आ गया और मुझे खा गया तो तभी उसे शेर के दहाड़ने की आवाज आयी तो वह बहुत जोर से डर गया। और शेर ने उसको मार दिया। मरने के बाद वह भगवान के पास पहुँचा। उसने भगवान् से पूछा कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ तब भगवान ने उसे बताया कि तुम जिस पेड़ के नीचे बैठे थे वो कल्पवृक्ष था। कल्पवृक्ष एक ऐसा पेड़ है जिसके नीचे बैठ कर कोई भी व्यक्ति जो सोचता है वह सच हो जाता है। इसी कारण तुमने उसके नीचे जो जो भी सोचा वह सच हो गया।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि हर व्यक्ति के अन्दर कल्पवृक्ष है। हमारी सोच ही हमारा कल्पवृक्ष है। हम जैसा सोचते हैं वैसी ही घटनाएं, परिस्थितियां और वातावरण हमारे आस-पास बन जाता है। हमारी सोच में इतनी शक्ति है कि चाहे जितनी भी नकारात्मक परिस्थिति हो हम उसे अपनी सकारात्मक सोच से आसानी से बदल सकते हैं। अपना और दूसरों का जीवन खुशियों से भर सकते हैं।
10. मुसीबत में साहस – Motivational Story in Hindi
एक बार कुछ खरगोश गरमी के दिनों में एक सूखी झाड़ी में इकठ्ठे हुए। खेतों में उन दिनों अन्न न होने की वजह से वे सब भूखे थे और वह भूख से बहुत परेशान थे। इन दिनों सुबह और शाम को गाँव से बाहर घूमने वालों के साथ आने वाले कुत्ते भी उन्हें बहुत तंग करते थे। कुतों के दौड़ने पर खरगोशों को छुपने की कोई जगह भी नहीं मिलती थी। सब खरगोश बहुत परेशान हो गए थे।
एक खरगोश ने कहा “भगवान ने हमारी जाति के साथ बड़ा अन्याय किया है। हमको इतना छोटा और दुर्बल बनाया।हमें उन्होंने न तो हिरन जैसे सींग दिए और न ही बिल्ली जैसे तेज पंजे। अपने दुश्मन से बचने का हमारे पास कोई उपाय नहीं है। सबके सामने से हमें भागना पड़ता है।”
दूसरे खरगोश ने कहा “मैं तो अब इस दुःख और आशंका से भरे जीवन से घबरा गया हूँ। मैंने तालाब में डूबकर मर जाने का निश्चय किया है।”
तीसरा बोला “मैं भी मर जाना चाहता हूँ। अब और दुःख मुझसे नहीं सहा जाता। मैं अभी तालाब में कूदने जा रहा हूँ।”
“हम सब तुम्हारे साथ चलते हैं। हम सब साथ रहे हैं तो साथ ही मरेंगे।” सब खरगोश बोल उठे। सब एक साथ तालाब की और चल पड़े।”
जब वह तालाब पर पहुंचे तो तालाब के पानी से निकलकर बहुत सारे मेंढक किनारे पर बैठे थे। जब खरगोशों के आने की आवाज उन्हें आयी तो वे जल्दी से पानी में कूद गये। मेंढ़कों को डरकर पानी में कूदते देख खरगोश रुक गए। एक खरगोश बोला “भाइयों! हमें जान देने की कोई जरुरत नहीं है, आओ वापस चलें। जब भगवान की इस दुनिया में हमसे भी छोटे और हमसे भी डरने वाले जीव रहते हैं और जीते हैं, तो हम अपनी जिंदगी से क्यों निराश हों?”
उसकी बात सुनकर खरगोशों ने आत्महत्या का विचार छोड़ दिया और वापस लौट गये।
सीख : इस motivational story in hindi से हमे ये सीख मिलती है कि जब तुम पर कोई मुसीबत आये और तुम्हे डर लगे तो यह देखो कि दुनिया में कितने ही लोग तुमसे भी ज्यादा दुखी, दरिद्र, रोगी और संकटग्रस्त हैं। तुम उनसे कितनी अच्छी दशा में हो। फिर तुम्हे क्यों घबराना चाहिये।
11. जब रखोगे, तभी तो उठाओगे – Motivational Story in Hindi
धनीराम नाम का एक व्यक्ति था। वह मेहनत करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। वह धीरे-धीरे कामचोर बनता गया और एक दिन नाकारा हो गया। धीरे-धीरे उसने ठगी का काम शुरू कर दिया। उसने पहले जान-पहचान वालों से उधार लेना शुरू कर दिया। जब लोग पैसे वापस मांगते, तो तरह-तरह के बहाने बना देता। जैसे-जैसे उसके जान-पहचान के लोग आपस में मिलते गए, उसकी पोल-पट्टी खुलती गई। सब यही बात करते कि जबसे उसने पैसे लिए हैं, तब से मिलना ही बंद कर दिया है। जब जान-पहचान के लोगों ने पैसे देने बंद कर दिए, तो वह अपने रिश्तेदारों से उधार के नाम पर पैसे ऐंठने लगा। पहले सगे रिश्तेदारों से पैसे लेने शुरू किये। इसके बाद दूर के रिश्तेदारों से पैसे मांगना शुरू कर दिया।
एक दिन वह एक साधु प्रवृति के व्यक्ति के पास गया। उसने बैठाकर पानी पिलाया। फिर उससे पूछा, “तुम धनीराम ही हो न?” उसने हां में सिर हिलाया। फिर पूछा, “कहो, कैसे आना हुआ इतने वर्षों बाद। सब ठीक-ठाक तो है न?” धनीराम ने जवाब देते हुए कहा, “सब ठीक तो है, लेकिन…..। काम नहीं मिल पा रहा है। घर में तंगी आ गई है। अगर कुछ रुपये उधार दे दें, तो हालत संभल जायेगी।” वह व्यक्ति बात करते हुए उठा और सामने आले में पचास रुपए रख आया। जब धनीराम चलने के लिए खड़ा हुआ, तो उस व्यक्ति ने आले की और इशारा करते हुए कहा, “सामने आले में पचास रुपए रखे हुए हैं, ले जाओ। जब हो जाएं, इसी में रख जाना।” उसने आले में से रुपए उठाए और चला गया।
इसी तरह ठगी से वह अपना काम चलाता रहा। किसी ने दोबारा दे दिए, किसी ने नहीं दिए। अब वह बैठा-बैठा गणित लगाता रहता कि कोई छूट तो नहीं गया, जिससे पैसे मांगे जा सकते हैं या किस-किस के पास जाएं। कितना-कितना समय बीत गया जिनके पास दोबारा जाया जा सके। ऐसे लोगों की उसने सूची बनाई, जिनसे पैसे लिए हुए तीन साल हो गए थे। इस सूची के लोगों के पास जाना शुरू कर दिया, लेकिन बहुत कम लोगों ने पैसे दिए। अचानक उसे साधु प्रवृति वाले व्यक्ति की याद आई। सोचा, अब तो वह भूल गया होगा। उसी के पास चलते हैं।
जब धनीराम वहां पहुंचा तो उसने उसे बैठाया। पानी पिलाया और नाश्ता कराया। उस व्यक्ति ने पूछा, “सब ठीक-ठाक तो है।”
धनीराम ने उत्तर देते हुए कहा, “सब ठीक तो है, लेकिन…..।” उसने फिर पूछा, “लेकिन क्या?” धनीराम बोल “बच्चे भूखे हैं। काम भी नहीं मिल रहा है। कुछ पैसे उधार दे देते, तो काम चल जाता।” “ले जाओ उसमें से।” आले की ओर इशारा करते हुए उस व्यक्ति ने कहा।
वह खुश होता हुआ उठा कि यह सच में पिछले पैसे भूल गया है। इसने न पिछले पैसों की चर्चा की और न मांगे ही। सोचते-सोचते वह आले तक आ गया। उसने आले में हाथ डाला तो कुछ नहीं मिला। धनीराम ने उस व्यक्ति की और देखते हुए कहा, “इसमें तो कुछ भी नहीं है?”
इतना सुनकर वह बोला , “जो तुम पैसे ले गए थे, क्या रखकर नहीं गए थे?”
उसके मुंह से कोई उत्तर नहीं निकला। उसने न में सर हिलाते हुए उत्तर दिया। उस साधु प्रवृति वाले व्यक्ति ने सहज रूप से कहा, तब फिर कहाँ से मिलेंगे? ‘जब रखोगे, तभी तो उठाओगे’।
वह चुपचाप बाहर आया और अपना-सा मुहं लिए चला गया।
मुझे उम्मीद है कि Motivational Stories in Hindi ने आपको बहुत बहादुरी और प्रेरणा दी है, दोस्तों। प्रेरक कथा को पढ़ने के बाद आपको अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं होगी।
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